भाजपा प्रत्याशी हरेंद्र का लगातार बढ रहा है ग्राफ,
बिगाड सकता है कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की जीत का समीकरण
होडल,
हरियाणा विकास पार्टी में विधायक रहे जगदीश नायर ने सन 1996 में हसनपुर विधानसभा सुरक्षित सीट से पहली बार चौधरी बंसीलाल की सरकार में अपने राजनीतिक केरियर की शुरुआत की। वह हविपा के बैनर तले चुनाव लड़े और जीत हांसिल की। जिसके बाद वह बंसीलाल सरकार में मंत्री बनकर चर्चा में आए। सन 2000 में भी उन्होंने चुनावी मैदान में ताल ठोकी, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद 2005 में फिर चुनावी मैदान में इनेलो की टिकट से उतरे और जीत हांसिल कर विधायक बने। सन 2008 से पहले होडल सीट को हसनपुर अनुसूचित जाति सुरक्षित सीट के नाम से पहचाना जाता था। 2008 में परिसीमन के बाद होडल की सीट अस्तित्व में आई। इससे पहले हसनपुर विधानसभा सीट भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी, लेकिन परिसीमन के बाद होडल विधानसभा सीट को भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित का दिया गया। 2009 से लेकर अब तक उक्त सीट पर तीन विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और समीकरण ये रहे हैं कि तीनों बार ही यहां से अलग-अलग राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने चुनाव जीते हैं। परीसीमन के बाद सन 2009 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान इंडियन नेशनल लोकदल के प्रत्याशी के रूप में पहली बार होडल विधानसभा सीट से जगदीश नायर ने जीत हांसिल की थी। जिसमें जगदीश नायर को 46 हजार 515 वोट मिले थे तो वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी उदयभान को 43 हजार 894 वोट मिले थे। जगदीश नायर ने 2 हजार 621 वोटों से उदयभान को पराजित कर चुनाव जीता था। इसके बाद 2014 के चुनाव में इसी सीट पर फिर से इनेलो के प्रत्याशी के तौर पर जगदीश नायर को मैदान में उतारा गया, जबकि कांग्रेस की तरफ से उदयभान मैदान में उतरे, लेकिन उदयभान ने जगदीश नायर को करारी शिकस्त दी और वह चुनाव हार गए। 2019 में एक बार फिर मुकाबला उदयभान और जगदीश नायर के बीच हुआ। हालांकि इस बार जगदीश नायर ने चुनाव से ऐन पहले इनेलो पार्टी अलविदा कहकर भाजपा का दामन थाम लिया और भाजपा ने भी नायर को तुरंत टिकट दे दिया। इस चुनाव में जगदीश नायर को 55 हजार 864 वोट मिले तथा कांग्रेस के प्रत्याशी उदयभान को 52 हजार 477 वोट मिले। केवल 3 हजार 387 वोटों के मामूली अंतर से जगदीश नायर चुनाव जीतने में सफल रहे। होडल विधानसभा सीट पर अभी तक मुख्य रूप से जगदीश नायर और उदयभान में ही मुकाबला देखने को मिला है। उदयभान को राजनीति उन्हें विरासत में मिली है। उनके पिता स्व.चौधरी गया लाल भी तत्कालीन हसनपुर विधानसभा सीट से कई बार विधायक रहे हैं। 2024 के विधानसभा चुनाव पर हुए सर्वे में क्षेत्र से जगदीश नायर को भाजपा प्रत्याशी के तौर पर सबसे अधिक 37 प्रतिशत लोगों ने पसंद किया। वहीं डॉक्टर नवीन रोहिल्ला को लोगों का 28 प्रतिशत समर्थन मिला और भाजपा के हरेंद्र सिंह राम रतन को 22 प्रतिशत लोगों ने अपना समर्थन दिया। जगदीश नायर की टिकट कटने के बाद डा.नवीन रोहिल्ला ने आजाद उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। वह भी पूरे दमखम के साथ चुनावी समर में हैं और ग्रामीण महिलाओं का उन्हें भरपूर समर्थन मिल रहा है। उधर अबकि बार भाजपा ने हरेंद्र सिंह रामरतन को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है। हरेंद्र सिंह पूर्व विधायक रामरतन के पुत्र हैं और अपने पिता राम रतन की तरह ही एक साफ और स्वच्छ छवि के नेता के तौर पर देखें जाते हैं। इनके पिता ने विधायक रहते हुए शहर में काफी विकास कार्य कराएं थे, जिसका फायदा उन्हें इस चुनाव में मिल सकता है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान से उनका सीधा मुकाबला है। हालांकि फिलहाल कांग्रेस क्षेत्र में बढत बनाए हुए है और अन्य दलों से काग्रेस में शामिल हुए छुटभैईए नेताओं की शह पर वह जीत का सपना संजोए हुए है। जबकि अन्य दलों ने अपने सभी कार्यकर्ताओं को एक योजना के तहत उनकी टीम में शामिल होने का जाल फैंका है,ताकि ऐन वक्त पर उन्हें शह मात के खेल में पटखनी दी जाए। शहरी दलित और पिछड़ा वर्ग के मौजिज लोगों ने उनसे दूरी बनाई हुई है। जल्द ही यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की रैली, हेमामालिनी के रोड शो और भाजपा संगठन का डोर टू डोर प्रचार कांग्रेस के चुनावी समकरण को बिगाड सकता है। क्षेत्र की जनता भी अबकि बार पुराने चेहरों को छोडकर नए चेहरे को चुनना पसंद कर रही है।
होडल से ब्यूरो रिपोर्ट
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