मार्केट कमेटी के अधिकारी व मिल मालिकों की मिलीभगत के चलते किसान अपनी फसल को सरकारी रेट से कम दामों में बेचने को मजबूर

कमेटी अधिकारियों व मिल मालिकों की मिलीभगत से अनाज मंडी में पिछले चार दिनों से नहीं हो रही धान की खरीद
होडल, गौरव बंसल 
होडल की अनाज मंडी में  धान की खरीद ना होने के कारण किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।  किसानों का आरोप है कि राइस मिल मालिकों व मार्केट कमेटी अधिकारियों की मिलीभगत के  चलते राइस मिल मालिक ओने पौने दामों में किसानों की फसल खरीद रहे है। किसानों का कहना है कि मोशचर के नाम पर प्राइवेट मिल सरकारी रेट से करीब 500 रूपए सस्ता धान खरीद रहे है और मंडी में किसानों के लिए कोई भी सुविधा तक नहीं है। 
होडल अनाज मण्डी में किसानो के धान की खरीद पिछले चार दिनों से बंद पड़ी है। किसान अपने घरों को छोड़कर अपनी फसल की खरीद के इंतजार में अपनी ढेरियों पर दिन-रात काट रहे है। हरियाणा में बीजेपी की तीसरी बार सरकार बनी है और सभी विधायकों को आदेश भी दिए है कि वह मंडियों में जाकर किसानों के एक-एक दाने की खरीद कराए, लेकिन फिर भी पिछले चार दिनों के किसानों की धान की खरीद बंद है।
 होडल मार्केट कमेटी के अधिकारी राइस मिल मालिकों से साठगांठ कर जानबूझ कर किसानों की फसल की खरीद नहीं कर रहे है जिससे कि किसान परेशान होकर मिल मालिकों को सस्ते दामों में अपनी फसल बेच दे। मार्केट कमेटी अधिकारी किसानों की फसल की खरीद ने करके सरकार के आदेशों को ठेंगा दिखाने में लगे है। होडल अनाज मंडियों में अपनी फसल को लेकर पिछले पांच दिनों से पड़े किसानों का आरोप है कि मंडी में फसल की खरीद कछुआ गति से हो रही है। उनका आरोप है कि मार्केट कमेटी के अधिकारी मिल मालिकों से मिलकर जानबूझ कर खरीद में देरी कर रहे है। मार्केट कमेटी अधिकारियों ने अब तक दिखावे के लिए 90 क्विंटल ही सरकारी खरीद की है। फसल में ज्यादा मोशचर होने की बात कहकर खरीद बंद की हुई है। किसानों का आरोप है कि मार्केट कमेटी के अधिकारी किसानों को इसलिए परेशान कर रहे है कि जिससे कि किसान सस्ते दामों में मिल मालिकों को अपनी फसल बेचकर चले जाए और मिल मालिकों से अधिकारियों से मोटा नजराना मिल सके। किसानों का आरोप है कि मार्केट कमेटी के अधिकारी मिल मालिकों को फायदा पहुंचाने के लिए जानबूझ कर सरकारी खरीद बंद की हुई है।
 किसानों ने आरोप लगाते हुए कहा कि राइस मिल मालिक धान की ढेरियो में मोशचर बता कर पंखा भी लगवा रहे है। उनका कहना है कि सरकारी रेट 2320 है, लेकिन राइस मिल मालिक उसके बाद भी धान में नमी ज्यादा बता कर सरकारी रेट से करीब 500 क्विंटल कम में खरीद कर रहे है। किसानों का कहना है कि जब मिल मालिक सरकारी रेट से कम दाम में खरीद कर लेते है तब पता नहीं मोशचर कहा चला जाता है।  किसानो का कहना है कि मार्केट कमेटी के अधिकारी मिल मालिकों से मिलकर बीजेपी सरकार को बदनाम करने में लगे है। किसानों ने यह सरकार से मांग की है कि सरकारी रेट पर उनकी फसल खरीदी जाए और ऐसे अधिकारी व मिल मालिकों के खिलाफ कार्यवाही की जाए। जब इस मामले में मार्किट कमेटी सेकटरी वीरेंद्र से बात की तो उन्होंने कहा की सरकार के दिशा निर्देश पर ही खरीद की जा रही है और बताया कि अभी तक 90 क्विंटल सरकारी खरीद हुई है और प्राइवेट एक लाख सतरह हजार क्विंटल खरीद हो चुकी है। 

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